शादी के पवित्र रिश्ते में बंधने के लिए लगभग सभी उत्सुक रहते हैं। शादी की परंपराओं के अनुसार, लड़की को अपना घर छोड़ना पड़ता है और अपनी बाकी की जिंदगी के लिए पति के घर जाकर रहना पड़ता है। खुद का घर छोड़कर दूसरे के घर जाकर रहने की वजह से ज्यादातर लड़कियां दुखी हो जाती हैं और तब उनके पिता आकर समझाते हैं कि प्रथा और परंपराओं के कारण उन्हें ऐसा करना ही होगा। लेकिन क्या कभी आपने इसके पीछे का कारण सोचा है? आखिर शादी के पवित्र रिश्ते में बंधने के बाद लड़की को ही अपना घर क्यों छोड़ना पड़ता है, लड़के को क्यों नहीं? इसके पीछे कई अहम कारण हैं। जानें :
किसी जीव को नारी ही दे सकती है जन्म
शास्त्रों की मानें तो ब्रह्मा जी ने नारी का जन्म संस्कार और जीवन रचने के लिए किया था। लेकिन नारी वहां किसी जीव को जन्म नहीं दे सकती है, जहां उसका जन्म हुआ है। इसी वजह से शादी के बाद लड़की को अपना घर छोड़कर नया घर बसाने के लिए अपने पति के घर जाना पड़ता है।
देवी स्वरूप है नारी
माना जाता है कि नारी देवी का रूप होती हैं। वह पत्नी के रूप में लक्ष्मी व अन्नपूर्णा बनकर अपने हमसफर के साथ जुड़ती है। इसी वजह से उसे परि-ग्रहण संस्कार के बाद अपने पति के घर बाकी की जिंदगी जीने के लिए जाना पड़ता है।
नारी से की जाती है त्याग की उम्मीद
हमेशा नारी से ही त्याग की उम्मीद की जाती है। वेदों में भी लिखा है कि नारी दया, प्रेम, त्याग, धैर्य संस्कार आदि की मानक है और पुरुषों में ये गुण नहीं होते हैं। इस कारणवश नारी को त्याग करते हुए अपना घर छोड़ना पड़ता है।
पति की परछाई पाणि
मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण संस्कार के बाद लड़की-लड़के की परछाई बन जाती है। ऐसे में परछाई को तो वहीं रहना पड़ेगा, जहां उसका शरीर रहता हो। इस वजह से भी पत्नी को अपने पति के घर जाना होता है।
नारी एक सरिता रूप
वेदों में माना गया है कि नारी एक सरस सरिता का रूप है। जब वह कन्या के रूप में होती है तो वह अपने मां-बाप के साथ रहती है। इसके बाद पत्नी बनती है तो अपने पति की जिंदगी में मिठास घोलने के लिए जाना पड़ता है।
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