2011


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र और राज्यों को बडी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) पर पाबंदी सिर्फ छत्तीसगढ में लगाई गई है। जस्टिस अल्तमस कबीर ओर एसएस निज्जन की पीठ ने केन्द्र की ओर से शीर्ष अदालत के पांच जुलाई को दिए गए आदेश के खिलाफ दायर आवेदन पर यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में छत्तीसगढ सरकार और केन्द्र को माओवादियों से निपटने के लिए एसपीओ का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया था। वहीं छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि इस मामले में पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया गया है।

नई दिल्‍ली. पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली के मैच फिक्सिंग के शक से जुड़े बयान पर बीसीसीआई और खेल मंत्रालय आमने-सामने आ गए हैं। सरकार ने इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है तो बोर्ड ने कहा है कि इसे ज्‍यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने भी अपने सांसद अजहर पर लगे आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। आईसीसी के अध्‍यक्ष शरद पवार ने भी कांबली के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।

केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने आज कहा कि कांबली के आरोपों को हल्‍के में नहीं लिया जा सकता है, ऐसे में बीसीसीआई को इस मामले की जांच करानी चाहिए। लेकिन बीसीसीआई ने कांबली के आरोपों को नकराते हुए कहा है कि वो इस मामले को जरा भी महत्‍व नहीं देगा। बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी राजीव शुक्‍ला ने कहा, 'अगर कांबली को कोई समस्‍या थी तो उन्‍हें उस समय बात करनी चाहिए थी, 15 साल बाद नहीं। हम इस तरह के आरोपों को ज्‍यादा महत्‍व नहीं देते हैं।'

वहीं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बतौर कप्‍तान अजहर के पहले फील्डिंग के फैसले का बचाव किया है। दिग्विजय ने ट्वीट कर कहा, ‘अजहर के खिलाफ कांबली के आरोप एकतरफा और बेबुनियाद हैं। आखिर कांबली ने यह बताने के लिए 15 साल तक इंतजार क्यों किया? अजहर एक महान क्रिकेटर और महान कप्तान रह चुके हैं और इन सबसे बढ़कर वो एक महान इंसान हैं।’
कांबली ने हाल में शक जाहिर किया कि 1996 विश्‍वकप के सेमीफाइनल मुकाबले में फिक्सिंग हुई थी। गौरतलब है कि अजहरुद्दीन की कप्तानी में कोलकाता के मशहूर ईडन गार्डन के मैदान पर खेले गए इस मैच में भारत बुरी तरह हार गया था। कांबली ने सवाल उठाया कि मैच से पहले तय था कि टॉस जीतने पर टीम बल्‍लेबाजी करेगी, लेकिन टॉस जीतने के बाद फील्डिंग का फैसला क्‍यों लिया गया?

'माकन का कड़ा रुख'

यहां एक समारोह में हिस्‍सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में माकन ने कहा, 'जब टीम का कोई खिलाड़ी आरोप लगाता है, तो उसकी पूरी जांच होनी चाहिए। देश के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि आखिर हुआ क्या था। खिलाड़ी के आरोप सही हों या गलत, लोगों को सच जानने का हक है।'

माकन ने कहा, 'इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और यदि कुछ गलत हुआ है तो दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।' उन्होंने कहा कि यदि बीसीसीआई कार्रवाई नहीं करता है, तो खेल मंत्रालय खुद जांच करेगा।

माकन ने कहा कि वह कांबली के दावों से दुखी हैं और यदि इनमें सच्चाई है तो यह क्रिकेट के लिये दुर्भाग्यपूर्ण है। माकन ने कहा, 'एक मंत्री के तौर पर ही नहीं बल्कि एक खेलप्रेमी के तौर पर भी मुझे यह सुनकर बुरा लगा। मैंने अपने कई कार्यक्रम रद्द करके वह मैच देखा था।' उन्होंने कहा, 'इसकी पूरी जांच जरूरी है। इसकी जड़ तक जाना चाहिए, ताकि सच का पता चल सके।'

टीम इंडिया के पूर्व कप्‍तान सौरव गांगुली ने अजहरुद्दीन को विनोद कांबली के आरोपों पर कड़े कदम उठाने की सलाह दी है। गांगुली ने कहा है कि यह अजहरुद्दीन पर निर्भर करता है कि वह क्या कदम उठाते हैं। अपना नाम इस विवाद से निकालने के लिए गांगुली ने कहा कि इस विवाद को लेकर बहुत सारी बातें उड़ रही हैं।


मुंबई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का लुढ़कना शुक्रवार को भी बदस्तूर जारी रहा। भारतीय मुद्रा की कीमत 44 पैसे और गिरने के बाद 51 रुपये के पार जाकर 51.34/35 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई। यह पिछले 32 माह में रुपये का न्यूनतम स्तर है। बैंकों और आयातकों की ओर से अमेरिकी डॉलर की जोरदार मांग लगातार बनी रहने से ही रुपये की कीमत गिरती जा रही है।

गौरतलब है कि भारतीय मुद्रा की कीमत इससे पहले 17 मार्च, 2009 को गिरकर 51.49/51 रुपये प्रति डॉलर पर आ गई थी। एक डीलर ने बताया कि अनेक विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत हो जाने से भी रुपये की गिरावट को बल मिला। (प्रेट्र)


नई दिल्ली। सीबीआई ने शनिवार को पूर्व दूरसंचार सचिव श्याम घोष और दो दूरसंचार प्रदाताओं के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज कर ली। इसके बाद सीबीआई ने मुंबई में वोडाफोन और गु़डगांव में एयरटेल के दफ्तरों पर छापे मारे और तलाशी ली।
इन सभी के खिलाफ प्रमोद महाजन के दूरसंचार मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियतमितताओं के आरोप हैं। एजेंसी के मुताबिक, घोष के अलावा भारत संचार निगम लिमिटेड के पूर्व निदेशक जेआर गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मामला दर्ज करने के फौरन बाद सीबीआई के दलों ने मुंबई में वोडाफोन दफ्तर, गु़डगांव में एयरटेल दफ्तर के अलावा घोष और गुप्ता के निवासों पर तलाशी ली। इन छापों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारती एयरटेल के अधिकारियों ने बताया कि उसने कॉरपोरेट सुशासन और नियामन संबंधी गतिविधयों में हमेशा उच्चा मानक रखे हैं।
भारती एयरटेल के एक प्रवक्ता ने बताया कि हम बताना चाहते हैं कि हमें समय-समय पर अब तक जितने भी स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए हैं, वे सरकार की नीतियों के अनुरूप हैं। हम अधिकारियों को सभी विवरण दे रहे हैं और इस मामले में जब जरूरत होगी, सहयोग करेंगे। सीबीआई ने महाजन के कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रमों के कुछ कंपनियों को सीमा के बाहर आवंटन करने के मामले में जांच करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करा दी है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दूरसंचार विभाग ने 2001 से 2003 के बीच महाजन के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार कंपनियों के लिए बेस स्पेक्ट्रम 4.4 मेगाहट्र्ज से बढ़ाक 6.2 मेगाहट्र्ज कर दिया और कंपनियों को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन कर दिए। वोडाफोन ने कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन  जु़डे उनके सभी दस्तावेज सरकार के नियमों के अनुरूप है और कंपनी अधिकारियों के साथ सहयग कर रहे हैं।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई अधिकारी सुबह हमारे दिल्ली और मुंबई कार्यालय में आए थे और उन्होंने 2001-2002 के दौरान संचालकों को आवंटित स्पेक्ट्रमों के बारे में जानकारी मांगी। हमारे सभी दस्तावेज सरकारी नियम-कानूनों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि वोडाफोन इंडिया सीबीआई अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है और हम उनकी जांच के दौरान उन्हें सभी जरूरी विवरण उपलब्ध कराएंगे।

बाली (इंडोनेशिया) : अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर विभिन्न विकल्पों पर विचार किए जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इस मुद्दे को राजनयिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए और उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ इस बारे में विचार विमर्श किया है।

मनमोहन सिंह ने आसियान शिखर सम्मेलन के मौके पर ओबामा से भेंट की और कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित मुद्दों का हल राजनयिक तरीके से होना चाहिए। ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में आईएईए की प्रतिकूल रिपोर्ट पर आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह परेशानी पैदा करने वाला घटनाक्रम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संपन्न राष्ट्र हो।

आईएईए की रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि यह परेशान करने वाला है। सूत्रों ने कहा कि अगर ईरान परमाणु हथियार हासिल कर लेता है तो क्षेत्र के सुरक्षा आयाम में इसका प्रभाव पड़ेगा और भारत ऐसा नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि भारत ने आईएईए में ईरान के खिलाफ प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया। (एजेंसी)

वॉशिंगटन। अमेरिका द्वारा लादेन को दी गई मौत के बाद पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी काफी डर गए थे। इस घटना के बाद जरदारी 26 / 11 के हमले में शामिल गुनहगारों को भारत को सौंपने को तैयार हो गए थे। साथ ही जरदारी अपने लिए नई सुरक्षा टीम बनाने की तैयारी में भी थे। नई सुरक्षा टीम सैन्य विद्रोह की आशंका के चलते बनाई जा रही थी। ये वादेजरदारी ने अमेरिका के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टॉफ के चेयरमैन माइक मुलेन को एक गुप्त ज्ञापन में दिए थे। ये ज्ञापन मुलेन को पाकिस्तानी अमेरिकी बिजनेसमैन मंसूर एजाज द्वारा मई में सौंपा गया था। खुद मुलेन भी इस बात की पुष्टि की है

ई दिल्ली : पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम को 1996 में एक निजी फर्म को ठेका देने के लिए तीन लाख रुपए की रिश्वत लेने का दोषी ठहराते हुए दिल्ली की एक अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश आर.पी. पांडेय ने 86 वर्षीय सुखराम पर चार लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। सुखराम पी.वी. नरसिंह राव सरकार में दूरसंचार मंत्री थे। सीबीआई के अभियोजक ने कहा कि सुखराम को हिरासत में लिया जाएगा और उन्हें जेल भेजा जाएगा। उन्हें तीन साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई है। इस वजह से अभियुक्त को कानूनी जमानत नहीं दी जाएगी। सुखराम को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत कल दोषी ठहराया गया था। इन प्रावधानों के तहत अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है।

इससे पहले सुखराम ने अदालत से अपनी उम्र के आधार पर सजा में रियायत की मांग की थी, जबकि सीबीआई ने उन्हें आदतन अपराधी करार देते हुए उन्हें अधिकतम सजा देने की मांग की थी। 86 वर्षीय सुखराम को वर्ष 1996 में एक निजी फर्म को ठेका देने के लिए तीन लाख रुपए की रिश्वत लेने का दोषी ठहराया गया है। उन्हें पीवी नरसिंह राव मंत्रिमंडल में दूरसंचार मंत्री रहते हुए अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग कर एक निजी कंपनी हरियाणा टेलीकॉम लिमिटेड को पॉलीथीन इन्सुलेटेड जेली फिल्ड (पीआईजेएफ) के 3.5 लाख कंडक्टर किलोमीटर  केबल की दूरसंचार विभाग को आपूर्ति के लिए 30 करोड़ का ठेका देने का दोषी ठहराया गया है।

सुखराम को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत बीते गुरुवार को दोषी ठहराया गया था। सुखराम की ओर से उनके वकील ने शनिवार को विशेष न्यायाधीश आर. सी. पांडेय से कहा, ‘मेरी उम्र 86 साल है और मैं पिछले 12 से 13 साल से सुनवाई का सामना कर रहा हूं। उम्र अधिक होने के कारण मुझे बीमारियां हैं और मेरी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसलिए मेरी सजा में रियायत बरती जाए।’

वर्ष 1998 में दाखिल आरोपपत्र में सीबीआई ने सुखराम पर एचटीएल को केबल आपूर्ति के लिए उसे ठेका देने का आरोप लगाया था। सुखराम के साथ साथ एचटीएल के अध्यक्ष देविंदर सिंह चौधरी के खिलाफ भी मुकदमा चला था। चौधरी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।

वर्ष 2009 में सुखराम को 4.15 करोड़ रूपये की बेहिसाब संपत्ति रखने का दोषी ठहराया गया। वर्ष 2002 में उन्हें उपकरणों की आपूर्ति से सरकारी कोष को 1.66 करोड़ रूपये का नुकसान पहुंचाने के एक अन्य मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत तीन साल की सजा सुनाई गई। उन पर हैदराबाद की एडवांस रेडियो मास्ट्स कंपनी के रामा राव को लाभ पहुंचाने का आरोप था। वह इन दिनों जमानत पर हैं।

सुखराम की ओर से उनके वकील ने कहा ‘यह ऐसा मामला नहीं है जहां सरकार ने अपना कोई धन गवांया हो। सीबीआई का कहना है कि उन्होंने रिश्वत ली लेकिन सरकार के कोष को कोई नुकसान नहीं हुआ।’

इस पर सीबीआई के अभियोजक ने कहा कि सुखराम आदतन अपराधी हैं क्योंकि उन्हें दो अन्य मामलों में भी सजा हो चुकी है और वह रियायत के हकदार नहीं हैं। उम्र के मुद्दे पर सीबीआई के वकील ने कहा ‘उम्र हमेशा विचारणीय होती है लेकिन अदालत को यह भी देखना चाहिए कि आरोपी ने जब अपराध किया था तब उसकी उम्र क्या थी। बहरहाल, वर्तमान में हर मामले में सुनवाई में दस से 15 साल लगते हैं और यह दलील दोषी ठहराये जाने के बाद उचित नहीं है कि उम्र को देखते हुए सजा में रियायत दी जानी चाहिए।’

सीबीआई ने यह भी कहा ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह सांसद और मंत्री थे और उन्होंने जनता के साथ विश्वासघात किया।’ सरकारी खजाने को नुकसान न होने संबंधी सुखराम की दलील पर सीबीआई ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के लोकसेवक के दुराचार से निपटने संबंधी प्रावधानों में कहा गया है कि आरोपी द्वारा आर्थिक लाभ लिए जाने से सरकारी कोष को नुकसान होता है।

सात बार विधायक और तीन बार सांसद रह चुके सुखराम को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। वर्ष 1997 में उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया। 24 मार्च 1998 में प्रेम कुमार धूमल नीत भाजपा एचवीसी सरकार में वह कैबिनेट में शामिल किए गए। लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में आरोप तय होने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

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