कालाधन पर फिर होगा बड़ा खुलासा!



सूर्य उत्तरायण में आने वाला है। मकर संक्रांति, यानी 14 जनवरी को। दो महीने बचे हैं। फिर क्या होगा? काले पैसे पर बड़ा खुलासा होगा। राम जेठमलानी इसी सिलसिले में आजकल धड़ाधड़ विदेश यात्राएं कर रहे हैं।
जारी है ट्रैक-टू
यूपी चुनाव के साथ-साथ क्या बदलेगा? जवाब है, पाकिस्तान भी बदलेगा। क्योंकि तब तक वहां नए सेनाध्यक्ष को लेकर झंझट सुलझ चुका होगा। सीमा पर युद्ध जैसे हालात के बावजूद ट्रैक-टू बातचीत जारी है, और उसमें पाकिस्तान की तरफ से संदेश यह आया है कि वह सचिव स्तर की बातचीत चाहता है। ट्रैक-टू बातचीत कारगिल युद्ध के दौरान भी जारी रही थी। अब अजित डोवाल ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से कह दिया है कि बात होगी, तो आतंकवाद पर भी करनी पड़ेगी। पाकिस्तान इसके लिए राजी है, लेकिन उसका कहना है कि वह हुर्रियत को छोड़ नहीं सकता है। भारत का कहना है कि उसे छोड़ना ही होगा। पाकिस्तान ने यूपी चुनाव के बाद बात करने की इच्छा जताई है।
मोदी के सुमंत!
विजय चौथाईवाले का जिक्र हम आपसे पहले भी कर चुके हैं। बीजेपी के विदेश प्रकोष्ठ के अध्यक्ष। बहुत योग्य और उतने ही सक्रिय। अशोका रोड दफ्तर में बैठते हैं। मोदी के विदेश दौरों की सफलता के पीछे उन्हीं की मेहनत को जिम्मेदार माना जाता है। हाल ही में उन्होंने सिंगापुर में एक सम्मेलन किया है और अब आगे लंदन और यूरोपीय यूनियन में सम्मेलन होने हैं। विदेश मामलों को लेकर मोदी की नीति यह है कि घरेलू स्थितियां विदेशी निवेश में बाधा नहीं बननी चाहिए। हालांकि पाकिस्तान प्रायोजित प्रचार इसमें बाधा बनता है।
ममता के वीटो
वैसे मोदी की नीतियों को लेकर जितनी आशंका ममता बनर्जी के मन में रहती है, उसका कोई जवाब नहीं है। राजनाथ सिंह देश भर के पुलिसकर्मियों को दीवाली का बधाई संदेश भिजवाना चाहते थे। लेकिन ममता बनर्जी ने संघीय ढांचे का हवाला देकर इस पर ब्रेक लगा दिया। इसी तरह जब प्रधानमंत्री कार्यालय देश भर के पुलिस वालों का मोबाइल नंबर चाहता था, तब भी ममता ने वीटो कर दिया था।
ब्रिटेन का टाटा कनेक्शन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा, जो उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली विदेश यात्रा है, उसका पहलू एक टाटा भी है। दरअसल टाटा स्टील का ब्रिटेन का कारोबार गहरे संकट में है। घाटे के कारण मिस्त्री उसे बंद करना चाहते थे। लेकिन उसमें 30 हजार लोग काम करते हैं, टाटा ने कारोबार बंद किया, तो ब्रिटेन के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी। ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में रतन टाटा को नाइटहुड से भी नवाजा था।
सियाराम के नाम
नेपाल भारत का पड़ोसी और तीर्थ ही नहीं, भगवान राम की ससुराल भी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में अपनी नेपाल यात्रा के दौरान मधेसी असंतोष के सवाल को मिथिला और अवध के संबंधों का हवाला देकर बहुत कारगर ढंग से शांत किया।
गांगुली गुगली
पश्चिम बंगाल में गांगुली गुगली का खेल जारी है। बीजेपी रूपा गांगुली को अपने साथ ले आई, तो अब सौरव गांगुली हाल ही में बीरभूम जिले में टीएमसी की एक रैली में शामिल हुए, हालांकि वह किसी खेल संघ की रैली थी, लेकिन थी टीएमसी की ही। सौरव गांगुली को अपने साथ लाने में सीपीएम और बीजेपी नाकाम रह चुके हैं, शायद ममता सफल रहें।
टप्पा इधर और टर्न उधर
एक गुगली शशि थरूर ने भी फेंकी है। थरूर भारत में ब्रिटिश राज पर एक किताब लिख रहे हैं। थरूर ने चतुराई से इसमें एम.जे.अकबर द्वारा लिखी गई नेहरू की जीवनी को उद्धृत किया है, जिसमें अकबर ने कहा है कि 1947 में विभाजन के लिए माउंटबेटन और जिन्ना ज्यादा उत्सुक थे, न कि नेहरू। अब टप्पा और टर्न यह है कि अकबर ने नेहरू की ये जीवनी तब लिखी थी, जब वो गांधी परिवार के नजदीक हुआ करते थे। अब वे मोदी के मंत्री हैं। देखना है कि क्या अकबर इसका कोई जवाब देते हैं।
अब यहां से कहां जाएं हम!
वाजपेयी सरकार के दौरान कांग्रेस और सीपीएम एकदूसरे को मेरे हमदम मेरे दोस्त कहने के लिए मजबूर हो गए थे। अब मोदी सरकार में बंगाल में दोस्ती और केरल में दुश्मनी वाले रिश्ते बने। आगे क्या होगा? पता नहीं। सीपीएम में प्रकाश करात कांग्रेस से संबंधों के खिलाफ हैं, लेकिन चुप हैं। सीताराम येचुरी संबंधों के पक्ष में हैं, लेकिन समस्या में हैं। हाल ही में सीताराम येचुरी की राहुल गांधी से मुलाकात भी हुई थी, लेकिन अब कांग्रेस ही सीपीएम से रिश्तों को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं है।
अमर सिंह का कोलकाता दौरा
जब यूपी में, या यूं कहें कि समाजवादी पार्टी में भरपूर समाजवाद आया हुआ था, तब उसके पुनर्समाजवादी महासचिव अमर सिंह कोलकाता में व्यस्त थे। कभी एक होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में, कभी एक क्रिकेटर से मुलाकात में, कभी सड़क किनारे कुल्फी खाने में, कभी गोलगप्पे उड़ाने में। राज क्या था? कोलकाता याद आ रहा था या लखनऊ से दूर रहना था?
लेकिन दो तो बनेंगे गवर्नर
मोदी सरकार पूर्व अफसरों को राज्यपाल के बजाए उप- राज्यपाल बनाने के पक्ष में ज्यादा है। लेकिन कुछ अपवाद हो सकते हैं। रॉ के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी को कश्मीर का राज्यपाल बनाया जा सकता है। त्रिपाठी बीजेपी में पहले ही शामिल हो चुके हैं। सेना के एक पूर्व जनरल को भी राज्यपाल बनाया जा सकता है। जाट कोटे से।
साहब बहादुर से रायबहादुर
सूचना-प्रसारण विभाग के पूर्व मंत्रियों और पूर्व सचिवों से कहा जा रहा है कि वे मंत्रालय के कामकाज पर अपनी राय सरकार को दें। केन्द्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री श्री वेंकैया नायडू इसकी पहल शुरू करने वाले हैं।




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