इंदौर, नगर प्रतिनिधि। कुछ पेट्रोल पंप पर मीटर सेट करने के बावजूद डिवाइस लगाकर या नोजल बटन में कारस्तानी कर पेट्रोल चोरी की जा रही है। देश और प्रदेश में ऐसे कुछ मामले सामने आने के बाद पेट्रोलियम कंपनियां भी सतर्क हो गई हैं। 'नईदुनिया' ने इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि अधिक मुनाफे के चक्कर में कुछ पंप संचालक मशीन में चिप लगाकर उसे रिमोट से कंट्रोल करते हैं।
इस तरह वे हर लीटर पर एक निश्चित मात्रा का पेट्रोल बचा लेते हैं। उधर, पेट्रोलियम कंपनियों का दावा है कि उनके द्वारा लगाई जा रही नई मशीनों में ऐसी छेड़छाड़ संभव नहीं है। कुछ समय पहले भोपाल के दो पेट्रोल पंपों पर चिप लगाकर पेट्रोल चोरी के मामले सामने आए थे। दोनों पंप कांग्रेस नेत्री के रिश्तेदारों के थे। गड़बड़ी मिलने के बाद कंपनी ने इन्हें बंद कर दिया था।
महंगे बेचते हैं डिवाइस
पेट्रोलियम कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार डेढ़-दो साल पहले दुबई से इस तरह का सॉफ्टवेयर तैयार कर बुलवाया गया था। कुछ गिरोह इसे दो से पांच लाख रुपए तक में पंप संचालकों को बेचते हैं। इसमें पंप में एक चिप इंस्टॉल की जाती है, जिसे रिमोट से ऑपरेट किया जाता है। कर्मचारी तय रकम और मात्रा सेट कर ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल देते हैं। ग्राहक को लगता है कि पूरा पेट्रोल मिला है, लेकिन उसके पेट्रोल-डीजल की चोरी हो चुकी होती है।
जैमर लगाने का सुझाव
सामान्य जांच में चिप से होने वाली गड़बड़ी पकड़ में नहीं आती। पेट्रोल पंपों की मशीन बनाने वाली कंपनियों को सुझाव दिया है कि वे उनमें ऐसा जैमर लगाएं, ताकि पंप के लगभग 40 मीटर के दायरे में कोई मोबाइल या रिमोट काम न कर सके। - महेंद्रसिंह खड़का, उप प्रबंधक, इंडियन ऑइल कार्पोरेशन
उपभोक्ता कराएं जांच
चिप के जरिये कम पेट्रोल मापने का प्रकरण अब तक हमारे सामने नहीं आया है। कोई विशेष मामला आता है तो हम कंपनी के साथ संयुक्त जांच भी कर सकते हैं। उपभोक्ताओं को शक हो तो वे भी पेट्रोल पंप पर पांच लीटर के माप से जांच करवा सकते हैं। - केएस चौहान, डिप्टी कंट्रोलर, नापतौल विभाग
इस तरह बच सकते हैं ठगी से
- वाहन में बैठे रहने के बजाय नीचे उतरें और कर्मचारी के पास खड़े रहें। इससे नोजल लीवर को बारबार दबाकर की जाने वाली गड़बड़ी रोकी जा सकती है। कुछ पंपों पर कर्मचारी ग्राहक को बातों में उलझाते हैं और गड़बड़ी करते हैं।
- जेड आकार की मशीनों में पेट्रोल चोरी के अधिक मामले सामने आते हैं। इसे देखते हुए पेट्रोलियम
कंपनियों ने नई ऑटोमैटिक मशीनें लगाना शुरू किया है। इसमें हर चीज की रिकॉर्डिंग होती है।
- अधिकांश लोग पंप पर 100, 200, 500 या एक हजार रुपए का पेट्रोल लेते हैं। इस मात्रा पर मशीन की सेटिंग बदल दी जाती है। इसके बजाय 120, 550 रुपए जैसे नंबर्स में पेट्रोल डलवाएं।
- हाईवे और ग्रामीण क्षेत्रों के पंपों पर इस तरह की गड़बड़ी की संभावना ज्यादा होती है।
- यहां के कर्मचारियों को पता होता है कि वाहन चालक पेट्रोल कम डालने की शिकायत करने कम ही आते हैं।
नई मशीनों से गुंजाइश कम
जिन्हें बदमाशी करना होती है, वे कहीं भी कर सकते हैं। नई मशीनें लगने के बाद चोरी की गुंजाइश नहीं है। -जीएस कोहली, अध्यक्ष, मप्र पेट्रोल डीलर्स फेडरेशन
कभी भी हो सकती है जांच
चिप लगाकर पेट्रोल चोरी होना सुना है, लेकिन अब सारी कंपनियां आधुनिक मशीनें लगा रही हैं। इसमें छेड़छाड़ की तो कंपनी को पता चल जाता है। दिल्ली और मुंबई से आकर कंपनियों की टीम कभी भी जांच कर सकती है।- पारस जैन, उपाध्यक्ष, मप्र पेट्रोल डीलर फेडरेशन
नोजल बटन से भी चोरी...
पाइप के मुहाने पर एक छोटा सा बटन लगा दिया जाता है। मात्रा और रकम सेट करने के बाद कर्मचारी अंगूठे या अंगुली से बटन को 10 से 15 सेकंड के लिए दबा देता है। उतनी देर के लिए पेट्रोल- डीजल का सप्लाय रुक जाता है, जबकि मीटर चलता रहता है।
पेट्रोल पंपों पर मिलावट के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर
सुप्रीम कोर्ट से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पेट्रोल पंपों पर मिलावट के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है। इसका खुलासा पेट्रोल-डीजल में मिलावट संबंधी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के हलफनामे से हुआ है। मप्र में मिलावट के पिछले तीन सालों में 364 मामले सामने आए हैं। वहीं उत्तरप्रदेश पहले नंबर पर है। यहां 672 मामले पकड़े गए। पूरे देश में मिलावट और कम तौल के 3801 मामले सामने आए हैं।
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लाखों लीटर केरोसिन की हेराफेरी हो रही है। पंपों के मालिक और डीलर नेताओं जैसे ताकतवर लोग हैं, इसलिए वे व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं होने देंगे। याचिका पर सुनवाई प्रधान न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी।
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