जितने पुराने नोट अब तक बैंको में जमा किये जा चुके हैं। उनका वेरिफिकेशन करके उन्हें पैक कर सीधा आरबीआई के पास भेज दिया जाता है। उसके बाद आईबीआई इन नोटों के बंडल को चंडीगढ़ सेंटर में वेरिफिकेशन करने के लिए भेज देता है। वेरिफिकेशन के बाद इन नोटों को कतरन और ब्रिकेटिंग जैसी प्रक्रिया के लिए आगे की ओर ट्रांसफर कर दिया जाता है। यहां पर सबसे पहले नोटों को कतरने वाली मशीन में डालकर दबाया जाता है औऱ फिर उन्हें अलग-अलग आकार दिया जाता है।
इसके बाद विक्रेता इसे अस फैक्टरी में भेज देते हैं जहां पर इसका गूदा केमिकल में इस्तेमाल किया जाता है। तब इसके गूदा का इस्तेमाल कई जगहों पर किया जाता है। जैसे कि कार्डबोर्ड बनाना, प्लाईवुड बनाना, स्टेशनरी का सामान, स्मृति चिन्ह, अंडे का ट्रे और ब्राऊन पेपर इत्यादी। तो किसी न किसी तरह से आपकी पुरानी नोट घूमकर आपके पास ही आ जाएगी।