शिमला ।प्रदेश सरकार चार साल स्कूलों को खोलने की घोषणाएं करती रही। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने पूर्व सरकार के समय में बंद किए लगभग 150 से ज्यादा स्कूलों को दोबारा से शुरू करवाया। अब अपने ही फैसले से पलटते हुए राज्य सरकार ने स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया है। शिक्षा विभाग की आेर से कैबिनेट के समक्ष यह फैसला लाया गया था। इस पर कैबिनेट में सहमति बन गई है।
राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 99 स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया है। इन स्कूलों में बच्चों की संख्या 5 से भी कम है, इन्हें मर्ज करने की मंजूरी दे दी गई है, यानी यह स्कूल बंद होगे और आसपास के स्कूल में मर्ज किए जाएंगे। यह हैरानी करने वाला इसलिए भी है क्योंकि राज्य सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल में लगातार स्कूल खोलने की घोषणाएं करती रही है।
सरकार ने अभी तक 500 से ज्यादा स्कूल या तो नए खोले हैं या फिर अपग्रेड किए हैं। अब अपने ही फैसले से सरकार पलट गई है। सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग में 10 से कम बच्चों के स्कूलों को भी मर्ज करने का प्रस्ताव भी तैयार है। इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कई स्कूलों में छात्रों से ज्यादा थी। ऐसे में वित्तीय भार के तौर पर इसे ऐसे भी सरकार पर भार ही माना जा रहा था।
धारा118 में संशोधन नहीं सुप्रीमकोर्ट जाएगी सरकार
कैबिनेटकी बैठक में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देने पर मुहर लगाई है। राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि धारा 118 में संशोधन करे। इसमें सरकार को 90 दिन के भीतर उन लोगों को राहत देनी थी, जो हिमाचली है लेकिन कृषक नहीं हैं। प्रदेश में धारा 118 की अनुमति के बगैर कोई भी गैर कृषक जमीन नहीं खरीद सकता है।
इस पर कैबिनेट में चर्चा के बाद फैसला लिया है कि सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देगी। हालांकि हिमाचल में हर चुनाव के समय धारा 118 के तहत दी गई मंजूरियों को राजनीतिक मुद्दा बनाया जाता है। भाजपा या कांग्रेस किसी भी सरकार हो, राज्य में हर बार यहीं मुद्दा बनता है। विपक्ष की आेर से विधानसभा सत्र में भी इसे ही उठाया जाता है। हर बार विधानसभा चुनावों के दौरान इसमें गोलमाल किए होने का मामला उठता है। वर्तमान नियमों के तहत हालांकि धारा 118 के तहत अनुमति लेने के लिए जिला उपायुक्त कार्यालय में आवेदन करना होगा।
राज्य में बाहर से जो उद्योग बिजली ले रहे हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले कम इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी देनी होगी। पहले उन्हें 78 पैसे प्रति यूनिट की दर से ड्यूटी देनी होती थी, अब उन्हें आने वाले समय में 51 पैसे की दर से ड्यूटी अदा करनी होगी। ऑनलाइन शॉिपंग पर प्रदेश सरकार 5 प्रतिशत वैट लेगी।
हिमाचल मंत्रिमंडल में चौथी चतुर्थ आैर तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के साक्षात्कार खत्म करने के मसले पर सहमति नहीं सकी। इसे किसी किसी कारण से डैफर कर दिया है। कार्मिक विभाग की आेर से इसका प्रस्ताव पूरी तैयारी कर कैबिनेट से समक्ष लाया गया था। इस बार कैबिनेट से इसे डैफर करने का फैसला बिना किसी कारण के लिया गया है।
हालांकि इससे पहले साक्षात्कार के 15 अंकों को कैसे एडजस्ट किया जाएगा। यह हवाला देते हुए कैबिनेट से इसे नकार दिया था। अब कार्मिक विभाग की आेर से इसका पूरा खाका तैयार कर लिया था। केंद्र सरकार ने तृतीय आैर चतुर्थ श्रेणी की भर्ती मेें साक्षात्कार खत्म कर दिए हैं। अब वहां पर लिखित परीक्षा की मेरिट के आधार पर ही इन दोनों वर्गों में भर्ती हो रही है।
अमूमन राज्य में भर्तियों के दौरान का इतिहास भी देखे तो साक्षात्कार के अंकों पर सवाल उठते रहे हैं। लिखित परीक्षा की मेरिट को इग्नोर कर साक्षात्कार में ज्यादा अंक देकर भर्ती के मामले विवादों में आते रहे हैं। साक्षात्कार खत्म होने के बाद विवाद भी कम होने की उम्मीद है।