मगर, अब उम्मीद है कि इतनी मात्रा में काला धन बैंकों में जमा नहीं होगा। अब तक बैंकों में हुए नोटों को जमा करने के ट्रेंड को देखें, तो बैंकों में आने वाला काला धन काफी कम मात्रा में हो सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह एक सदमा हो सकता है।
मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि 500 रुपए के 17,165 मिलियन नोट और 1,000 रुपए के 6858 मिलियन नोट 8 नवंबर 2016 को परिचालन में थे। यानी उस दिन तक सिस्टम में 15.44 लाख करोड़ रुपए (500 रुपए के नोटों के रूप में 8.58 लाख करोड़ रुपए और 1,000 रुपए के नोटों के रूप में 6.86 करोड़ लाख रुपए) चल रहे थे।
28 नवंबर को आरबीआई ने घोषणा की थी कि प्रतिबंध किए गए 8.45 लाख करोड़ रुपए 10 नवंबर से 27 नवंबर के बीच बैंकों में जमा हो चुके हैं। यह 50 दिन में से 18 दिनों के भीतर बैंकों में जमा किए गए प्रतिबंध नोटों का मूल्य था। वह भी तब जब बैंकों के बाहर खड़े कई लोगों को अपने खातों में पैसा जमा करने से मना कर दिया गया था।
केंद्रीय बैंक के साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार, 8 नवंबर को सीआरआर के रूप में आरबीआई के पास वास्तविक नकदी की कुल राशि 4.06 लाख करोड़ रुपए रुपए थी। यह कैश भारतीय रिजर्व बैंक में कई बैंकर्स ने इंक्रीमेंटल डिपॉजिट के रूप में भेजा था।
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, औसत कैश-टू-डिपॉजिट का अनुपात 4.69 है।
तो, अगर हम 20 दिन में जमा पैसों और और 8 नवंबर के सीआरआर को जोड़ दें, तो यह 12.50 लाख करोड़ रुपए के बराबर होता है। यदि इसमें 8 नवंबर को लोगों के हाथ में मौजूत नकदी एक हिस्से को 50,000 करोड़ रुपए मानकर जोड़ दें, तो पुराने नोटों के रूप में जनता के 13 लाख करोड़ रुपए नहीं हैं।
अभी भी बैकों में पुराने नोट जमा करने के लिए 30 दिन बाकी हैं। जिस दर से पैसा जमा किया जा रहा है, उम्मीद है कि 30 दिसंबर तक 2 लाख करोड़ रुपए सिस्टम में और आ जाएंगे। यानी काले धन से निपटने की सरकार की गणना बेकार साबित होती दिख रही है। ऐसे में माना जा सकता है कि काला धन या तो बड़े मूल्य के नोट के रूप में नहीं हैं या उसे वापस बैंकिंग प्रणाली में डाल दिया गया है।