१५० किलो वजन की महिला का वोक्हार्ट हॉस्पिटल में मुफ्त शल्यचिकीत्सा

मुंबई/ औरंगाबाद  : पिछले दस सालो मे सोशल मीडिया का स्वरुप मे आये बदलाव का भारत के गरीब और जरूरतमंद रुग्णों को हो रहा है। फेसबुक, ट्विटर एवं व्हाट्स ऍप जादातर युवा पसंद कर रहे है और इसी माध्यम के द्वारा औरंगाबाद की झीनत खान को नया जीवनदान मिला है। औरंगाबाद मे रहनी वाली झीनत कौसर खान (आयु ३८) यह पेशे से शिक्षक है लेकीन बढते मोटापे के साथ शरीर की अवस्था स्थगित हो गयी थी। झीनत खान को २ बच्चे है और नौकरी छूटने के कारण घर चलाना भी मुश्कील हो रहा था। झीनत के पति औरंगाबाद शहर में टेलरींग का काम करते है लेकीन उनकी महीने आमदनी से घर के चार लोगों का ख़र्चा चलाने में बहुत कठीनाई होती है।  मोटापा के कारण बहुत सारी शारीरिक समस्या बढ़ रही थी और इस मोटापा से छुटकारा पाने का एक ही इलाज था बॅरिऍट्रिक सर्जरी, लेकीन इस के लिये चार लाख का इंतजाम करना बहुत ही मुश्कील काम था । मुंबई सेंट्रल स्तिथ वोक्हार्ट हॉस्पिटल के बॅरिऍट्रिक  व मेटाबोलिक शल्यचिकित्सक डॉ. रमण गोयल इस वर्षे के जानेवारी में रुग्ण को देखने के लिए औरंगाबाद गए थे औए इसी दौरान झीनत डॉक्टरसे मिली और मोटापा काम करने के लिये विचार विनिमय किया । झीनत को होनेवाली परेशानी और उनकी आर्थीक स्तिथी को देखके  डॉ. रमण गोयल और वोक्हार्ट हॉस्पिटलने झीनत खान का मुफ्त इलाज करने का निर्णय लिया । वोक्हार्ट हॉस्पिटल का "लाईफ विन्स " यानि अपने बहुमोल जीवन पर जीत पाना इस नारे के अनुसार मुम्बई मे पहली बॅरिऍट्रिक शल्य चिकित्सा करने वाले डॉ. रमण गोयल ने सोशल मीडिया के माध्यम से झीनत के शल्यचिकित्सा के लिए लगने वाला चिकित्सा उपकरण और दवा की लागत खड़ा करने के लिए अपील की। बारा दीनो  मे डेढ़ लाख का धन जमा  हो गया और साथ में ही वोक्हार्ट  हॉस्पिटल ने झीनत के हॉस्पिटल मे रहने का तथा अगले  इलाज के खर्च माफ किया।
इस बारे मे अधिक जानकारी देते हुए वोक्हार्ट हास्पिटल के बॅरिऍट्रिक व मेटाबोलिक शल्यचिकित्सक डॉ. रमण गोयल ने कहा,"विश्व मे मोटापे मे भारत का तीसरा नंबर है और दूसरे स्थान पर चीन तथा पहले  स्थान पर अमेरिका है। प्रति तीन भारतियों मे एक भारतीय मोटापा तथा प्रमाणित भर से अधिक भर का है और बढ़ता मोटापा यह एक बीमारी है और इस पर योग्य इलाज करना चहिये। भारत मे मोटापा धारित  व्यक्ति को सामाजिक तथा पारिवारिक अपमान  से निपटना  पड़ता है।  झीनत पर हमने १५ मार्च को सफल शल्य चिकित्सा की और साल भर मे उसका भर ७०-८० किलो काम होने वाला है।सोशल मीडिया माध्यम द्वारा  झीनत को मदद करने वाले और वोक्हार्ट हॉस्पिटल के कारण झीनत की मोफत शल्य चिकित्सा की गई। "
मुंबई सेंट्रल स्तिथ वोक्हार्ट हॉस्पिटल और  डॉ. रमण गोयल के संयुक्त प्रयत्नोंसे  झीनत कुछ ही दिनों मे पढ़ाई का काम शुरू करनेवाली है । अपने दोनों बच्चों को उच्च शिक्षा देने का मानस झीनतने व्यक्त किया और डॉ. रमण गोयल  और वोक्हार्ट हॉस्पिटल के प्रति आभार व्यक्त किया ।
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